Welcome to PTMJ

योगी मृत्युंजयानंद जी
- Founder Of PTMJ
- National Vice President Of Suryayoddha


योगी मृत्युंजयानंद जी का जन्म १५ अगस्त १९७० को उत्तर प्रदेश में हुआ था। गुरु जी की परम आदरणीय माँ उनको बाल्यकाल से ही श्रीमद्भागवत की कथाएँ सुनाया करती थीं। उन्हीं कथाओं से प्रेरित होकर पाँच - छः वर्ष की आयु में ही वे एकांत स्थानों पर जाकर ध्यान भजन किया करते थे और इसी आयु में उन्होंने देवी देवताओं के दर्शन भी किए।दस वर्ष की आयु में बिना किसी को बताए वो अपने मामा गुरु श्री श्री १००८ हीराभारती के आश्रम पहुँच गए, कुछ समय पश्चात् वहाँ एक सिद्ध सन्यासी आश्रम पर पधारे और गुरु जी को देखकर सन्यास जीवन का आशीर्वाद देकर कहा कि यह बालक एक उच्च कोटि का योगी सन्यासी बनेगा।
युवा अवस्था में भ्रमण के दौरान उन्होंने सूरत की तापी नदी के किनारे ध्यान साधना की तथा आगरा के सवाईं गाँव के सिद्ध गुफा रामलाल महाराज जी के आश्रम में रहकर कुछ विशेष योग साधनाओं का अभ्यास किया व श्री राम शर्मा आचार्य जी की जन्म भूमि आमलखेड़ा में रहकर माँ गायत्री का अनुषठान किए। गुरु जी ने हरिद्वार में निकली सप्तधारा गंगा जी के निकट बेलपत्थर के जंगलों में, कुरुक्षेत्र में, पुष्कर की विश्वामित्र गुफा में और बद्रीनाथ में तपस्या व भ्रमण किया। बद्रीनाथ में वर्ष २०१३ में आयी आपदा के समय आपदा से पीड़ित लोगों की सेवा करने के पश्चात गुरुजी ने मध्यप्रदेश के भिंड ज़िले की तहसील के गाँव गड़ेर, बिंडवा, चितावली व किशूपुरा के स्थानों पर रहे। वर्तमान गृहमंत्री नरसिंहाराव की जन्म भूमि ग्राम बड़पुरी के शक्तिधाम में रहकर बड़पुरीवाले महाराज जी के नाम से प्रसिद्ध हुए और वहाँ लोगों ने उनसे गुरु दीक्षा ग्रहण की परंतु जंगल में तपस्या करने जाने के कारण उन्होंने वह आश्रम त्याग दिया।गुरु जी ने ग्वालियर ज़िले के जंगलों में एकांत स्थान मानपुर की गुफा में पाँच वर्षों तक तपस्या की एवं आस पास के लोगों भी गुरु जी को गुरु रूप में धारण किया। एक शिष्य के निवेदन पर वे वर्ष २०२२ में इंदौर गए और वहाँ उन्होंने परम तत्व मृत्युंजयानंद जी (PTMJ) सेवा समिति का गठन किया। वर्तमान में वे अपनी ध्यान साधना के साथ साथ मानव सेवा, समाज सेवा व आध्यात्मिकता हेतु कार्य कर रहे हैं।